Sunday, November 10, 2019

चल उठ हो गया सवेरा ....! **----*-*&*****-*-** चल उठ हो गया सवेरा , छोड़ रहे है सब अपना डेरा ! चार दाने की तलाश में पंछी मार रहे है फेरा !! कब तक जगाता रहेगा "अनवर" सुन ले थोढ़ा सा मेरा ..! हमेशा शिख़र पे पहुँचा है कर्मठ , न भूख़ा सोता हैं शेरा ..!! चल उठ भी जा , अब ... हो गया है सवेरा ..! लिख तकद़ीर अपने ही हाथो , क्या लिखेगा ,कोई तकद़ीर तेरा ..? रब़ ने बख़्शी हर दौलत तुझको , खोल दे आँख़े , सब है तेरा ..!! चल उठ हो गया सवेरा .... चल उठ हो गया सव़ेरा ... अनवर हुसैंन " अणु " भागलपुरी™


मेरी रूह ग़र अम्मा है तो मेरी आत्मा अब्बा हैं ! दरम्याँ रूह और आत्मा , के जो फासला है ! वही अम्मा , वही अब्बा हैं ! --- अनवर हुसैंन अणु भागलपुरी