Awaz Do Hum Ko: गरीबों का लेखक- मुंशी प्रेम चंदएक चिंग़ारी....!
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जलती है एक चिंग़ारी,
ज्वाला बनकर धकधक धक
धकधक धक, धकधक धक..!
डब्बो से डब्बो को जोड़े,
लौहपथ़ पे सरपट दौड़े,
गऱजन करती श़ोर मचाती,
इंकलाबी जोश़ जग़ाती ,
चित्कारो से राह़ बनाती,
इंज़न बढ़ती धकधक धक
धकधक धक ,धकधक धक..!
कबतक चुप रहोग़े जानी,
पीते रहोग़े माँग़कर पानी !
अपने ही अधिकारो से ,
ये है कैसी नाद़ानी ...?
सुनो..!
थोढ़ी मेरी भी वाण़ी.....!
तोढ़ती है ख़ामोशी ,
छोटी सी एक ठक़ठ़क ठ़क
ठ़कठक़ ठ़क , ठ़कठक़ ठ़क..!!
जलती है एक चिंग़ारी ,
ज्वाल़ा बनकर धकधक धक...
धकधक धक , धकधक धक !!!
एक सोंच ही है काफ़ी,
अंधकार मिटाने को ,
"एडीस़न" ने जो ठानी ,
रौश़नी फैलाने को.!
कर दी दुनिय़ा उसने रौश़न ,
इक पल में ही , झक़झक़ झक़
झक़झक़ झक़ , झक़झक़ झक़ !!
ज़लती है एक चिंग़ारी,
ज्वाला बनकर ,धक़धक़ धक़,
धक़धक़ धक़ ,धक़धक़ धक़..!!!
अनवर हुसैन अनु
( आम आदमी को ये भेंट )
...
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जलती है एक चिंग़ारी,
ज्वाला बनकर धकधक धक
धकधक धक, धकधक धक..!
डब्बो से डब्बो को जोड़े,
लौहपथ़ पे सरपट दौड़े,
गऱजन करती श़ोर मचाती,
इंकलाबी जोश़ जग़ाती ,
चित्कारो से राह़ बनाती,
इंज़न बढ़ती धकधक धक
धकधक धक ,धकधक धक..!
कबतक चुप रहोग़े जानी,
पीते रहोग़े माँग़कर पानी !
अपने ही अधिकारो से ,
ये है कैसी नाद़ानी ...?
सुनो..!
थोढ़ी मेरी भी वाण़ी.....!
तोढ़ती है ख़ामोशी ,
छोटी सी एक ठक़ठ़क ठ़क
ठ़कठक़ ठ़क , ठ़कठक़ ठ़क..!!
जलती है एक चिंग़ारी ,
ज्वाल़ा बनकर धकधक धक...
धकधक धक , धकधक धक !!!
एक सोंच ही है काफ़ी,
अंधकार मिटाने को ,
"एडीस़न" ने जो ठानी ,
रौश़नी फैलाने को.!
कर दी दुनिय़ा उसने रौश़न ,
इक पल में ही , झक़झक़ झक़
झक़झक़ झक़ , झक़झक़ झक़ !!
ज़लती है एक चिंग़ारी,
ज्वाला बनकर ,धक़धक़ धक़,
धक़धक़ धक़ ,धक़धक़ धक़..!!!
अनवर हुसैन अनु
( आम आदमी को ये भेंट )
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